कलाकार

 नमस्कार नमस्कार आप पढ़ रहे हैं Maharastra Melodies मै वैष्णवी पवार आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है मेरे इस ब्लॉग चैनल पर । आज हम जानने वाले हैं बाल गंधर्व जी के बारे में बाल गंधर्व जी का जन्म 26 june 1888 मैं हुआ उनका नाम नारायण श्रीपाद  राजहंस था ।जैसे ही सब पुराने जमाने में होता था वैसे ही नारायण जी के साथ हुआ यानी की बाल विवाह उनकी पत्नी का नाम लक्ष्मीबाई था । उन्हें बचपन से ही संगीत का काफी शौक रहा है उन्होंने अपने संगीत की शुरुआत भजन गाकर कि उनका भजन कोल्हापुर के शाहू महाराज जी को इतना पसंद आया कि उन्होंने उन्होंने किर्लोस्कर नाटक मंडली को नारायण जी को सौंप दिया । उनके एक नाटक मै लोक मान्य तिलक भी आए थे उन्हें उनका अभिनय देखकर इतनी प्रसन्नता हुई इतनी प्रसन्नता हुई कि नारायण जी का नाम उन्होंने बालगंधर्व रख दिया।आप को पता है की बाल गंधर्व इस नाम का क्या मतलब है क्यों लोक मान्य तिलक जी ने बाल गंधर्व ही नाम चुना नारायण जी के लिए क्यों की बाल गंधर्व का मतलब है Bal- Child + गंधर्व - Singer of Haven ।  


1905 मै नारायण जी की जीवन की शुरुआत हो गई 1913 मै गणेश गोविंद, गोविंद राव ठेंबे इन्होंने सबने मिलकर किर्लोस्कर के साथ के साथ खुद की एक गंधर्व संगीत मंडली स्थापित की 1921 मैं बाल गंधर्व अकेले इस कंपनी के मालिक बन गए । पेरेंट्स अपने मिलकर प्रभात फिल्म कंपनी के साथ 6 प्रोजेक्ट साइन कर लिए पर अफसोस से सिर्फ एक ही फिल्म बन पाई उसमें बाल गंधर्व जी को संत संत एकनाथ का भूमिका दी गई थीं । और यह भूमिका उनके जीवन की एक पुरुष की लक्ष्य विदित भूमिका बन गई फिर गौहरबाई भी उनके नायक के साथ जुड गई । जिस समय में स्त्रियों को बाहर आकर नाटक या फिर किसी भी चीज में इजाजत नहीं थी उसे समय बोल के अंदर भेजी एक पुरुष होकर स्त्री की भूमिका निभा रहे थे फिर उनकी काफी सारी भूमि का प्रसिद्ध हो जिसमें से काफी तर स्त्री भूमिका थी । संगीत शारदा में शारदा नाम की उनकी भूमिका काफी प्रसिद्ध हो गए 1911 मै मान अपमान इस नायक मै उनकी स्त्री भूमिका रही और वह भूमिका काफी ज्यादा प्रसिद्ध हो गए या तो वह रुक्मणी हो या शारदा हर एक स्त्री भूमिका काफी और लोगों को काफी यादगार भी।



और उसे समय की काफी ज्यादा प्रसिद्ध लेखक मतलब की अन्नासाहेब किर्लोस्कर, गोविन्द बलाल दिवोल, कृष्ण जी प्रभाकर ऐसे बहुत सारे लेखन के साथ उन्होंने अपना नाटक किया और तो और भास्कर बुवा बख्ते , गोविन्द राव टेंबे, मास्टर कृष्ण राव के जैसे महान संगीतकारों के साथ उन्होंने संगीतनायक मैं साथ मिला ।



 सब अच्छा चल ही रहा था लेकिन अचानक 1940 में उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई उनकी मृत्यु हो गई फिर काफी सालों बाद 1951 मै नाट्य सृष्टि से जुड़ी हुई गौहरबाई से उनको शादी हो गई । इतनी खूबसूरत और अहम भूमिका निभाने वाले सबके प्यारे बाल गंधर्व जी को उनकी बीमारी काफी ज्यादा परेशान कर रही थी फिर गंधर्व कल कंपनी ने काफी सारी ऐसी लोग ढूंढे जो स्त्री भूमिका कर सके लेकिन उनके जैसा आज तक कोई मिला नहीं लेकिन फिर भी वह हर नहीं उनकी बीमारियों ने परेशान कर रही थी फिर भी वह आकर नाटक मै स्त्री भूमिका निभा रहे थे। वह तो हमारे बीच अभी नहीं रहे लेकिन उनकी यह भूमिका हमें हमेशा याद दिलाएंगे मराठी सिनेमा के एक सीन में बाल गंधर्व जी के बारे बारे में बताया गया है कि उनके जैसा कोई महान कलाकार नहीं था जिसने बहुत हम स्त्री भूमिका निभाई हो और आज पुणे में उनके नाम से खुद एक नाटक ग्रह भी है जिसका नाम बाल गंधर्व नाटक गृह है। उनके जीवन पर आधारित मराठी फिल्म भी आई है जिसका नाम है बालगंधर्व इसमें नारायण जी मतलब बाल गंधर्व जी की भुमिका सुबोध भावे ने बखूबी निभाई है इस फिल्म के दिग्दर्शन रवि जाधव है 

यह थे हमारे आज के melodie कि कहानी मिलते हैं इसे किसी melodie ऐसे ही के साथ अब तक के लिए नमस्कार असो माझा ।

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