महेश काळे

 नमस्कार नमस्कार आप पढ़ रहे हैंMaharastra Melodies मै वैष्णवी पवार आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है मेरे इस ब्लॉग चैनल पर । आज हम जानने वाले हैं महेश काळे , जी के बारे में।महेश काले जी का जन्म 12 जनवरी 1976 पुणे मै हुवा। उनके जन्म संगीत परिवार मै हुवा था। महेश जी की मां स्कूल में संगीत की टीचर है फिर उन्होने मां से संगीत सीखने की सुरवत की फिर उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर 5000 लोगों के सामने अभंग गया ईद की शुरुआत की। फिर संगीत से इतना लगा होते हुए देखकर नाना गुरु के पास अपने संगीत की आगे की पढ़ाई करनी शुरू कर दी । पहले शिक्षिका उनकी मां थी लेकिन फिर आगे की पढ़ाई उन्होंने पुरुषोत्तम गांगुर्दे इन से लिए पारंपरिक शास्त्रीय संगीत हो सुगम संगीत या फिर नाट्य संगीत इन सारे संगीतों की जानकारी उन्होंने ली। उन्हें भले-बड़े पेड़ के नीचे छाया मिली वह  जितेंद्र अभिषेक की कर उन्होंने आज महेश काली जी को इतना खूबसूरत गायक बनाया है। जैसे-जैसे बड़े होते गए कॉलेज में दाखिल हो गए सुबह 4:00 बजे उठकर जितेंद्र अभिषेक की कर के पास जाकर अपने गाने का रियाज कर करने के बाद फिर वह कॉलेज जाते थे 


और एक भी दिन उन्होंने गाने की प्रैक्टिस नहीं छोड़ी फिर पुरुषोत्तम का रैंक में भी उन्होंने पाठ लिया फिर आगे की पढ़ाई के लिए वह अमेरिका चले गए वहां पर उनका संगीत थोड़ा बहुत छूट गया यहां पर पूरा वक्त दे रहे थे हिंदुस्तान में लेकिन वहां जाने के बाद वह वक्त थोड़ा काम हो गया। पर फिर भी संगीत के साथ छोड़ी नहीं जितना भी वक्त मिलता था उसमें वह रियाज करते थे । फिर कुछ दिनों तक जब किया लेकिन पापा की परमिशन से फिर उसने वह जॉब छोड़ दिया और अपने संगीत की ओर दौड़ा चले गए । भारतीय शास्त्रीय संगीत अमेरिका में पाकिस्तान अफगानिस्तान यूरोपीय स्टूडेंट को सिखाने वाला यह एक पहले भारतीय हैं। 




भारत के पंतप्रधान नरेंद्र मोदी जी अमेरिका दौरा पर थे तब महेश कॉलेज को भारतीय राष्ट्रीय गीत गाने का उन्हें विनती की और अपने स्टूडेंट के साथ उन्होंने वहां पर गीत गया । पूरे 15 सालों में 300 से भी ज्यादा विद्यार्थियों को भारतीय शास्त्रीय संगीत सिखाया है महेश कले जी ने । अंतरराष्ट्रीय संगीतकार स्टेट शेयर करने का भी मौका मिला है। काफी सारे प्रसिद्ध मराठी गायक वादक उनके साथ भी महेश काले सर ने परफॉर्म किया है गायक की पहचान मराठी इंडस्ट्री में आई तो वह राहुल देशपांडे सर से कटिहार का आजाद खुशी यह जो नाटक है उसमें महेश काले को राहुल देशपांडे जी ने पूछा कि इसमें आप तब वह अमेरिका से भारत में आए और तब उन्होंने परफॉर्म किया। पिता को उसने अपने संगीत किए प्रार्थना शुरू ही रखिए । यह थे हमारे आज के melodie कि कहानी मिलते हैं इसे किसी melodie ऐसे ही के साथ अब तक के लिए नमस्कार असो माझा ।

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